बच्चों को कैसे पढ़ाएं ? जाने छोटे बच्चों को पढ़ाने के 51 जादुई तरीके

बच्चों को कैसे पढ़ाएं ? जाने छोटे बच्चों को पढ़ाने के 51 तरीके

हर माता-पिता को अपने छोटे बच्चों को पढ़ाने में समस्या यह होता है की बच्चों को कैसे पढ़ाएं, आज इसी समस्या की हल लेकर हाजिर हैं, और जानेंगे घर पर छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका जिसके बाद अपने छोटे बच्चों को भी पढ़ा पाएंगे।

हर बच्चों को पढ़ना उनके भविष्य के लिए बहुत ही जरूरी होता है और यह एक माता-पिता के लिए चींता का विषय बना रहता है की उनके बच्चे पढ़ पाएंगे की नहीं ?

अगर नहीं पढ़ेंगे तो उनका आगे का भविष्य का क्या होगा। और इसी सब के कारण बच्चे के माता-पिता उन्हें एक अच्छे स्कूल में नामांकन भी करा देते हैं ताकी उनके बच्चे पढ़ें लेकिन होता यह है की कई बार बच्चे स्कूल तो जाते हैं मगर वह ठीक से पढाई नहीं करते हैं। और अपने स्कूल में होनेवाले एग्जाम या मासिक टेस्ट में बहुत काम नंबर लाते हैं उसके बाद माता-पिता को ऐसा लगने लगता है की हमारे बच्चे पढ़ाई में कमजोर है | मगर ऐसा बात नहीं हैं बस जरूरत है उन्हें एक अच्छे मार्गदर्शन का जिसके बाद अच्छी से पढ़ सकेंगे। तो आइये जानते हैं छोटे बच्चों को पढ़ाने के तरीके. Bacchon ko padhane ke aasan tarike, ऐसे बहुत से Baccho ko padhane ka tarika hindi हैं जिन्हें अपनाकर आप भी अपने बच्चों को पढ़ा सकेंगे।

Baccho ko kaise padhaye
बच्चों को कैसे पढ़ाएं ? जाने छोटे बच्चों को पढ़ाने का 20 तरीका

बच्चों को कैसे पढ़ाएं?

सबसे पहले जाने की बच्चों को यह समझें की वह कुछ सीखना चाहतें हैं और वह अभी बिलकुल इस दुनिया में नए हैं, तो ऐसे में उनसे ज्यादा कुछ जानने की उम्मीद न रखें, बल्कि उन्हें वह छोटी से छोटी बातों को सिखने का प्रेरित करें जो वह अभी नहीं जानते हों। इस तरह से पढ़ना सीख जाएंगे।



ये हैं छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका 

1. बच्चों को दोस्त बनाएं 

बच्चों के साथ सबसे बड़ी समस्या यह होता है की वह अपने माता-पिता या घर के बड़े लोगों से डरते हैं, ऐसे में उनके साथ एक दोस्त के जैसा व्यवहार करें। उनके हर सवालों को एक मित्र की भांती ही पुछा करें।


2. बच्चों को पढ़ाई में मदद करें

रोज बच्चों के होम वर्क बनाने में मदद करें और उनसे पूछे की उनकी कोई ऐसा विषय है जिनमें उन्हें समझ में ना आता हो वह समझाएं। जिससे उनके पास ज्यादा सवालों को लेकर तनाव उत्त्पन्न ना हो।


3. पढ़ाई की महत्व को बताएं

बच्चों को यह समझाएं की पढ़ना उनके लिए बहुत ही जरूरी हैं। और बच्चों के पढ़ने के फायदे का बारे में समझाएं। बच्चों को कहानी या कोई ऐसा कुछ सुनाएं जिनसे की उन्हें पढ़ाई की और उनका रुझान बढ़ें।


4. माहौल का ध्यान रखें

बच्चें हो या बड़े सभी को पढ़ाई करने के लिए अच्छे माहौल की अवश्यकता होती है और उन्हें अच्छी पढ़ाई करने में मदद मिलता है ऐसे में आप बच्चों को पढ़ाते वक्त माहौल का खास ध्यान रखें और पढ़ने वाले स्थान पर किसी भी प्रकार की कोई यंत्र चालू ना रखें मोबाइल, टीवी ये सब दूर रखें हो सके तो इस समय बंद कर के रख दें।

आपको यह लग सकता है की बच्चें पढ़ने में पूरी ध्यान दें रहे हैं लेकीन ऐसा कई बार होता नही है उनका ध्यान टीवी पर चल रहें प्रोग्राम के ऊपर हो सकता है या वह इस वक्त खेलने के बारे में सोच भी रहे होते हैं। तो अभिभावक को ऐसे बातों पर ध्यान देना चाहिए।



5. किताबों से कराएँ दोस्ती

सबसे पहले उन्हें किताबें पढ़ना सिखाएं ताकि वह खुद से भी कुछ पढ़ सकें। और उनके सब्जेक्ट से अलग किताबें भी पढ़ने को दे ज्यादा बच्चे रंगीन और चित्रों से भरी हुई किताबों को पसंद करते हैं तो उन्हें उसी प्रकार के किताबें लाकर दें।


6. बच्चे को रोज नया सिखाएं

जब बच्चें को पढ़ाते हैं तो उन्हें किसी भी विषय को पढ़ाने से बेहतर है की उन्हे नए नए तरीके सिखाया जाए जिससे उन्हे पढ़ने के लिए रुचि पैदा हो और वे लगातार पढ़ने के लिए कोशिश करता रहे।

तरह तरह की fundamentals की जानकारी दे और साथ ही देश दुनियां में चल रहे नई गतिविधी का जानकारी देते रहें।


7. बच्चे को लिखना सिखाएं

बच्चों को पढ़ाते वाक्य यह ध्यान रखें की उन्हें लिखने को ज्यादा  कहें अगर आपके बच्चे को अभी ठीक से लिखना नहीं आता तो उन्हें लिखने को सिखाएं नहीं तो उन्हें पेन्सिल से ड्राइंग बनाने को दें।


8. पढ़ाई का दबाव न बनाएं

अपने बच्चों को कभी भी पढ़ाई का दबाव न बनाए और उनके ही मन मुताबिक पढ़ने को कहें, और पढ़ने के लिए जबरदस्ती ना करें, जब भी बच्चों के साथ बैठे उनसे प्यार से प्रश्न पूछें, और उनके जबाव की जबरदस्ती ना  करें।

9. बच्चे की पढ़ने की तरीके को समझे

बच्चे की पढ़ने की तरीके को समझे और उन्हें वैसा ही करने दे क्योंकि सभी लोगों की पढ़ने और लिखने का तरीका अलग अलग हो सकता है।


10. बच्चें को पढ़ाने के लिए सही समय का चुनाव करें

बच्चों को पढ़ाने के लिए सही समय की चयन करना आवश्यक है ऐसा ना हो की आप अपना मन से बच्चें को पढ़ने के लिए बैठने के लिए कह दें। या ऐसा भी नहीं होनी चाहिए की जब आपके पास समय उपलब्ध हो तो उस समय बच्चें की पढ़ाने के लिए समय का चुनाव कर रहे हैं तो आप गलती कर रहे हैं।

बच्चें को पढ़ाने के लिए समय का चुनाव करते समय बच्चें की मन की ओह ख्याल रखें और उनसे यह साझा करें की उन्हे कब ज्यादा पढ़ने का मन करता है और वे कब पढ़ना चाहते हैं उसी वक्त बच्चों को पढ़ाने के लिए समय का चुनाव करें।




ऐसा ना हो की जब बच्चें को पढ़ने के लिए बैठा रहें हैं उस वक्त बच्चें का कोई मनपसंद शो आ रहा हो या वह उस वक्त अपने दोस्तों के संग खेलने के लिए जाता हो अगर इस वक्त बच्चों को पढ़ाते हैं तो यह पक्का है कुछ दिनों तक बच्चें को पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लगने वाला है।
बच्चे की इतना समझ नहीं होते हैं की वे खुद से ही पढ़ने के लिए बैठ सकें वो भी एक समय पर उनका जब मन होगा पढ़ेंगे जब मन नहीं करेगा पढ़ने से दिल चुरायेंगे, तो ऐसे में आप खुद ही उनके पढ़ने के लिए समय तय करें और उस वक्त का पालन कराएँ।


11. अनुशासन का रखें ख्याल

बच्चों को पढ़ाते वक्त सिर्फ किताब ही नहीं बल्कि नैतिक आदतों पर भी ध्यान दे और ये सब के साथ ही उन्हें सदा अनुशासित रहना भी सिखाएं।

12. बच्चे की गलतियाँ सुधारे

स्कूल से आने के बाद उनके साथ बैठें और उनके स्कूल की गतिविधियों के बारे में जानने की प्रयास करें।
समय-समय पर उनके होम-वर्क की कॉपी को देखा करें और उनमें होने वाली गलतियों में सुधर कराएँ।

13. सफलता और विफलता में अंतर को बताएँ

अपने बच्चों को सफलता के राज बताएं और साथ ही यह भी समझाएं की विफलता से नहीं दरें बल्कि विफलता से सिखने को कहें। इस स्थिति में बच्चों को हताश ना होने अलावा उनका हौसला कायम रखने के लिए बोल सकतें हैं।

14. बच्चे को डांटने से बचे

पढ़ाते वक्त बच्चों को डांटे नहीं बल्कि उनके गलतियों को नोट करें और पुनः समझाने के बाद फिर से प्रश्नों को हल करने को दें।

15. नए-नए बाते बताएं

अपने बच्चों को नए-नए चीजों के बारे में बताएं जो की बिना वजह के भी हो सकता है। और उनके पसंद की चीजों को जानने की कोशिश करें और उसी से जुडी हुई बातें को बताएं। और उसके बारें में प्रश्नों को जानने की प्रयास करें।

16. बच्चों को उत्साहित करें

उनसे कोई कविता या कहानी कहने को कहें अगर ऐसा न करते हों तो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। और अपने बच्चों को आपस में कविता या कहानियां सुनने और सुनाने को कहें। इस तरह मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई भी हो जायेगा।

17. बच्चों के पसंद के विषय पूछें

सभी बच्चे की पसंद एक जैसा तो हो नहीं सकता है ऐसे में उनसे ही पूछे की उनका मन कौन सा विषय में ज्यादा लगता है, और उनकी पसंद के अनुसार विषयों में आप भी रुची लें और उन्हें ये बताएं की इस विषय में किस तरह के चींजे होते हैं और क्या पढ़ना है।


18. मार्क्स का दबाव ना बनाएं

ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को यह सोचकर पढ़ाते हैं ताकि उनकी नम्बर ज्यादा आये लेकिन ये बहुत बड़ा गलत आदत है इसीलिए बच्चों पर अभी मार्क्स का दबाव ना बनायें।

19. बच्चों के मनोरंजन का रखें ख्याल

पढ़ाई के साथ उनके मनोरंजन का भी ख्याल रखें छुट्टियों वाले दिनों में अपने आस-पास घुमाने ले जा सकते हैं। और साथ ही ऐसे जगह जाए जहाँ इतिहास जुड़ी हो और उसके बारे में चर्चा करें। इससे बच्चे प्रायोगिक तरीके से किसी भी चीज को सीख पायेंगे और लम्बे समय तक भुलाएंगे नही।

20. खेलने से न रोकें

छोटे बच्चों को कभी खेलने से नहीं रोकें बल्कि उन्हें समय के अनुसार खेलने भी दें और अपने आस परोस के बच्चों के साथ मिलने दे ऐसा करने से बच्चा दुनिया के बारे में भी सिख पाएंगे। ऐसे भी बच्चे अभी नहीं तो कब खेलेंगे। इसलिए बच्चों को खेलने से ना रोकें।

21. बच्चों को समय का महत्व बताएं 

छोटे बच्चों को पढ़ाई के दौरान समय का भी महत्व को बताएं जिससे बच्चें समय पर अपना पढ़ाई कर सके। मैं तो कहता हूँ की पढ़ाई में सबसे ज्यादा योगदान समय की ही होती है।


22. किताब पढ़ना सिखाएं

जब बात बच्चों की पढ़ाने की हो तो उन्हे किताबें पढ़ना जरूरी सिखाएं। ज्यादातर मामलों में यह देखा जाता है की बच्चे को किताबें पढ़ना नही आता है और वे क्लास में भी बढ़ोतरी करते रहते हैं।



23. महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बताएं

जैसा की आप जानतें हैं की बच्चों को एक हद तक ही कुछ सिखाया जा सकता है इसिलिए छोटे बच्चों को उनके लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण टॉपिक को बताएं।


24. टेस्ट जरूर लें

अगर बच्चों को सही मायने में पढ़ाना का मतलब जानना हो तो यह बात अच्छी से समझ लें, जब भी आप बच्चों को पढ़ा रहे हो तो बीच बीच में उनका टेस्ट लेते रहें ताकि आपको यह पता चल पाए की आपके द्वारा पढ़ाई गई चींजे उन्हे समझ में आ रही है।



25. बच्चों को नैतिकता सिखाए

बच्चों को पढ़ाई के साथ नैतिक ज्ञान भी देते रहें यह एक पढ़ने वाले बच्चों के लिए बहुत ही आवश्यक होती है।



26. बच्चे को रोज याद करने के लिए देते रहें

जब भी बच्चे को पढ़ा रहे हो तो उन्हें कुछ न कुछ याद करने के लिए जरूर कहें जैसे की कुछ gk, मीनिंग, कविताएं ये सब, जिससे बच्चे की ज्ञान में बढ़ोतरी होगी।


27. English जरूर सिखाएं

वैसे तो बच्चे के लिए पढ़ाई की शुरूआत ही अंग्रेजी से ही की जाती है फिर भी उन्हें abcd के साथ अंग्रेजी में आवश्यक टॉपिक सिखाते रहें।


28. इतिहास की जानकारी दें

ऐसा नहीं है की बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही देना उचित होगा आप चाहे तो उन्हें और भी कई तरह के ज्ञान दें सकते हैं। इसी में से एक है इतिहास की जानकारी दें उसे रोचक बनाने के लिए कई महापुरषों की कहानी या जीवनी सुनाएं।


29. पढ़ाई में मदद करें

जैसा कि आप जानते हैं की बच्चे को सहारे की जरूरत होती है। तो आप सोच सकते हैं की उन्हें पढ़ाई में भी आपकी मदद की जरूरत हो सकती है। इसीलिए बच्चों को पढ़ने में आप अपनी योगदान जरूर देते रहें।
अभिभावक या शिक्षक के रूप में बच्चे को जीवन से लेकर पढ़ाई के लिए मदद करना एक कर्तव्य होता है तो इसे निभाने में किसी प्रकार की कोई कमी ना करें।




30. बच्चों को गणित सिखाएं

अगर आप बच्चे को पढ़ाते हैं तो उन्हें गणित जरूर सिखाएं शुरुआत में उन्हें संख्याओं की पहचान और संख्या या वस्तु को जोड़ना घटाना इत्यादि सीखा सकते हैं।

बच्चे को दिमागी कसरत के लिए गणित जरूर सिखाएं गणित के मदद से बच्चे दिमाग से सोचते समझते हैं और बहुत सारे गलतियां करने के उपरांत वे सीखते भी हैं।


31. बच्चे को प्रतियोगिता में भाग लेने दें

पढ़ाई के दौरान एक विद्यार्थी को कई तरह से ज्ञान को अर्जित करना पड़ता है। ठीक वैसे ही उन्हें मानसिक विकास के लिए उन्हें प्रतियोगिता भी करना आवश्यक होता है।
प्रतियोगिता के दौरान वे खुद को अच्छे से जान पाते हैं उदाहरण स्वरूप उन्हें नही पता की उन्हे किस तरह की प्रतियोगिता करना चाहिए लेकिन किसी कारण वश वे उस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं और उसमें वे सफल हो जाते हैं तो क्या पता उसी समय से बच्चे के लिए वह क्रिया हॉबी बन जाए।


32. बच्चे को लाभ –हानि बताएं

बच्चे को शुरुआती दिनों में ही लाभ–हानी की सवालों को जरूर हल करना सिखाएं क्योंकि बच्चे भी इस तरह के सवालों को हल करने में काफी उत्साहित होते हैं।
बच्चें को लाभ हानि समझाने के लिए उदाहरण की सहायता जरूर लें अन्यथा किताबी ज्ञान देने से बच्चे समझ पाएंगे या नहीं भी समझ पाएंगे।


33. स्कूल से प्रतिक्रिया लेते रहें

अगर आप घर पर बच्चों को पढ़ाते हैं तो उनके स्कूल से बच्चे के बारे में प्रतिक्रिया लेते रहें। स्कूल के शिक्षक से जरूर बात करें और बच्चे के बारे में प्रतिक्रिया लें की उसका विकास कैसा हो रहा है।

लेकिन आप एक स्कूल का शिक्षक हैं तो बच्चें माता पिता के साथ बैठक के दौरान उनके घर की दिनचर्या जानने की प्रयास करें अगर इसमें किसी भी तरह की कोई सुझाव की जरूरत है तो जरूर दें।


34. बच्चे की घर वालों से प्रतिक्रिया लें

स्कूल में बच्चों को अच्छे से पढ़ाने के लिए उनके घर वालों से प्रतिक्रिया लेनी आवश्यक है, क्योंकि बच्चे को घर पर भी पढ़ाई का माहौल मिलना आवश्यक होता है।

35. बच्चे से बात करें

अगर आप एक शिक्षक या बच्चे की अभिभावक हैं तो बच्चे से उनके पढ़ाई के बारे में बाते जरूर करें इस दौरान उनके परेशानी के साथ उन्हें क्या जरूरत है इसकी चर्चा जरूर करें।

बच्चें से पढ़ाई संबंधी बातें से लेकर उनके परेशानी और दिनचर्या के बारे में भी जानने की प्रयास करें और उन्हे समझाए की इस उम्र की परेशानी को हल करना उनके अभिभावक की जिम्मेदारी है उन्हे किसी भी तरह की तनाव लेने को ना कहें।

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36. बच्चों को टास्क दें

बच्चों को कोई छोटी- छोटी टास्क दें और उसे पूरा करने को कहें, और पूरी होने के बाद उन्हें उपहार जरूर दें। और साथ ही उनके हल करने में अपना मार्गदर्शन जरूर दें। जब भी बच्चों को पढ़ाएं तो उन्हें घर के लिए या फ्री समय के लिए कुछ न कुछ टास्क जरूर दें जैसे की याद करना या गणित के सवालों को हल करना आदि। नही तो बच्चे आपके अनुपस्थिति में खुद से पढ़ने वाले नही है।


37. छोटी-छोटी चीजों से करें शुरु

बच्चे को पढ़ाते वक्त ये ध्यान रखें की उन्हें हल्की व आसान चीजें सिखाएं, और वक्त के साथ इसमें बदलाव करते रहें

38. जोड़ करना सिखाएं

बच्चें को शुरुआत के दिनों से ही जोड़ना सिखाएं ताकी वे धीरे धीरे इसमें वे महारथ हासिल कर सकते हैं। क्योंकि वे इसे बचपन से करते आ रहें हैं तो वे जोड़ की सारे नियमों को समझ कर आगे बढ़ सकते हैं।

जोड़(Add) की कई शॉर्ट नियम को सीखा सकते हैं और कई तरह की ट्रिक को भी बच्चें को बताते चलें। कई बार ऐसा देखा गया है इस विषय को बड़े बच्चें सीखा करते हैं और कई तरह की ट्रिक को सीखने के लिए कोचिंग सेंटर की चक्कर लगाते रहते हैं अगर इस पर शुरूआत में ध्यान दिया जाए तो आगे ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।



39.बच्चों को हिंदी पढ़ाएं

शुरुआती दिनों में बच्चें को हिंदी पढ़ाएं हिंदी में क ख ग यानी की बारह खड़िया अनिवार्य रूप से सिखाएं ताकी उन्हे आगे हिंदी सीखने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो क्योंकि हिंदी पढ़ने के लिए सीखना हो तो इसका शुरूआत यही से होता है।



40. बच्चों को अभ्यास सामाग्री दे

बच्चें को पढ़ाने के दौरान उन्हें आगे के लिए या घर के लिए टास्क जरूर दें और उन्हें अगले दिन पूरी बारीकी से चेक करें और गलती पाए जाने के उपरांत उन्हें डांटने के बजाय गलतियों को कैसे सुधारा जाए इसकी जानकारी दें और सिखाएं इस प्रकार से बच्चें भी आपके साथ मित्रता बढ़ाएगा।





41. बच्चों के साथ मित्रता बनाएं 

बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा जरूरी यह है उनके बीच में बने रहना और बच्चें आपसे मित्र की सामान व्यवहार करें इन सभी बातों की ध्यान रखें।

बच्चों के साथ मित्रता बनाएं रखने के लिए उनके सारे सवालों को ध्यान से सुन कर उन्हे सुधारने की प्रयास करें।

बच्चें की हर छोटी छोटी बातों को सुनकर समझने की कोशिश करें।


42. बच्चों को समूह में पढ़ाएं

कई ऐसे टॉपिक होते हैं जो बच्चें अकेले में जल्दी से नही सीख पाते हैं ऐसे में बच्चों की समूह की सहायता लिया जा सकता है। और उन्हे सिखाया जा सकता है।

समूह में ABCD, कविताएं, गिनती आसानी से सिखाया जा सकता है।




43. बाहर दुनियां से परिचय कराएं

बच्चें को सिर्फ किताबी ज्ञान देना अनिवार्य नहीं है इसके साथ ही उन्हे दुनियां के बारे में भी जानकारी देते रहें आप चाहें तो किसी ऐसे टॉपिक के ऊपर चर्चा करें जो बच्चे से जुड़ी हुई हो जैसे की किसी स्कूल के टॉपर बच्चें के बारे में बाते और उन्हे भी उस तरह की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।




44. प्राकृतिक से परिचय कराएं

बच्चें को किताबी ज्ञान के साथ प्राकृतिक से भी परिचय कराएं। पेड़ पौधे, पशु- पंक्षी के बारे में जानकारी देते रहें।

पेड़ पौधे को पहचानना और उनके नाम के साथ संभव हो तो उनके उपयोग का भी जिक्र करें।




45. बच्चें को कविताएं सिखाएं

बचपन में कविता पढ़ना और उन्हे गुनगुनाना सभी बच्चें का पहला शौक होता है।

बच्चें को कविताएं सुनाएं और उन्हे पढ़ना सिखाएं और उनमें उपयोग किरदार को बच्चें को भी दोहराने के लिए कह सकते हैं। ऐसा करने से बच्चें को कविताएं समझ में आता जाएगा।




46. कहानी पढ़ना सिखाएं

बच्चों को शुरूआती दिनों में अगर हिंदी नही आता हो तो वह कहानी भी नही पढ़ पाएंगे इसके लिए आप चाहे तो उन्हे पढ़ कर सुना सकते हैं और अंत में उसी कहानी से सवाल करें ताकी बच्चें अगली बार कोई कहानी को ध्यान से सुनने और समझने की कोशिश करेंगे।





47. बच्चों के दिनचर्या जानने की प्रयास करें

जब भी बच्चों को पढ़ाएं थोड़ी देर बच्चें के साथ बातें करें और उनकी गतिविधियों के बारे में समझें और जानने की प्रयास करें साथ ही उनके जीवन यापन के बारे में जानने का प्रयास कर सकते हैं।




48. बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें

बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हे प्रेरित करते रहे, बच्चों को प्रेरित करने के लिए महापुरूषों की कहानी सुनाएं और इनके जीवनी के बारे में बताएं।


49. बच्चें को गुणा भाग सिखाएं

बच्चें को पढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त यह भी हो सकता है की उन्हे गणित के विषय पर विशेष ध्यान दें और उन्हें गुणा, भाग ये सब सिखाएं।

गुणा भाग सिखाने के लिए कई तरह की नियमों का पालन करें आपको जिसमें अच्छा लगे वह नियम के साथ आगे बढ़ सकते हैं।




50. बच्चें को पढ़ाई में मदद के लिए तैयार रहें

जब भी बच्चें को पढ़ाने की बात आती है तो इन्हें पढ़ने से ज्यादा मार्गदर्शन की जरूरत होती है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई में मदद करें ताकी बच्चें कहीं भी किसी टॉपिक के लेकर ना रूकें।

लगातार बच्चें पढ़ने में बढ़ोतरी करें इसके लिए आपको हमेशा बच्चों को पढ़ाई में मदद करने के लिए तैयार रहें।



51. बच्चों को बैठने की उचित व्यवस्था रखे

बच्चों को पढ़ाने से पहले उन्हे पढ़ने के लिए बैठने के लिए उचित व्यवस्था का ख्याल रखें।

पढ़ते वक्त बच्चे को किसी भी प्रकार की असहजता महसूस ना हो इसका ध्यान रखें।


जब बच्चें पढ़ने के लिए ना तैयार हो तो ऐसे में उन्हे पढ़ने के लिए उपहार देने की कोशिश या लालच दे सकते हैं। ऐसे में बच्चें पढ़ने के लिए आसानी से तैयार हो जाएंगे।

जब बच्चें आपके दिए हुए टास्क को पूरा कर लें उसके बाद भी उन्हे सम्मानित करें इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। और आगे भी इस तरह की भागीदारी लेना चाहेगा।


बच्चें को कैसे पढ़ाएं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त किया जिसमें जाना की बच्चों को पढ़ाने के तरीके जिसके अनुसार आप अगर बच्चें को पढ़ाते हैं तो वह जरूर पढ़ेगा।


ये हैं स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका

  • बहुत से शिक्षक हैं जो छोटे और बड़े बच्चों के बीच के अंतर को नहीं समझ पाते हैं और उन्हें भी उसी तरह से सिखाने की कोशिश करते हैं, सबसे पहले तो उनके योग्यता को समझना होगा।
  • छोटे बच्चे को कभी बिना गलती के डांटे या पिटे नहीं इसी बजह से स्कूल या कोचिंग के शिक्षक से डरते बहुत हैं।
  • बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाएं।
  • उनसे कभी घर की गतिविधियों के बारे में न पूछे।
  • उन्हें पढ़ाई के महत्व के बारे में समझाएं और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करें।
  • उन्हें होम वर्क देते वक्त उनके योग्यता का ख्याल रखें और जो आप पढ़ायें हो उन्हीं में से प्रश्न दें।
  • बच्चों को कभी घर पर खेलने के लिए मना नहीं करें, क्योंकि ऐसा करने से बच्चे तनाव में आ जायेंगे।
  • कभी बच्चों को मार्क्स के अनुसार कमजोर या तेज ना समझे। और उन्हें ऐसा एहसास ना होने दें।
  • अगर बच्चे पढ़ने में ध्यान नहीं दे रहें हैं तो उनके माता-पिता से कहकर समझाने का प्रयास करें।
  • रोज कुछ न कुछ नए नए चीजें सिखाने का प्रयास करें।
  • बच्चों की स्वतंत्रता पर कभी रोक ना लगाएं।

2 से 6 साल के बच्चों को कैसे पढ़ाएं?

2 से 6 साल के बच्चन बहुत ही छोटे होते हैं जो की अभी पढ़ने से ज्यादा उन्हे सीखना बहुत ज्यादा जरुरी होता है। 2 से 6 साल के बच्चे उम्र के अलग-अलग पराव पर होने के कारण उनके समझने की समय भी अलग-अलग हो सकतें हैं। 2 से 6 साल के बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हे पहलें नाम से परिचित कराएं उन्हे कविता और कहानियाँ याद कराएं जा सकतें हैं। इन बच्चों को जानवर और फल, पक्षी के नाम याद करायें और किताब में दिए गये चित्र के द्वार उनका परिचित करायें।


2 साल के बच्चों को कैसे पढ़ाएं?

जैसा की आप समझ हैं की इस 2 साल के बच्चे बहुत छोटे होते हैं ऐसे में 2 साल के बच्चे को कविता या Abcd पढ़ाएं जा सकतें है साथ ही वह अगर बोलता हो तो ऐसे में कुछ याद कराए जा सकते हैं।
  • 2 साल के बच्चों को abcd सिखाएं
  • इन्हे अनाराम भी सिखाया जा सक्ता हैं।
  • आपको लगता है की आपके बच्चे कुछ सीखने की इच्छुक है तो उन्हे चित्र वाली किताब के जरिए भी कुछ बता सकते हैं।

3 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं?

जब आपके बच्चे 3 साल के हो चुकी है तो उन्हे कई प्रकार की ज्ञान दिए जा सकते हैं। जैसे की उन्हे लोगों के परिचय के बारे में बतायें साथ ही 3 साल के बच्चों को खड़ियं भी याद कराए जा सकतें हैं।

3 साल के बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हे बड़े बच्चों के साथ में भी बैठा सकतें हैं। जिससे की वे पढ़ाई के तरफ ध्यान आकर्षित कर सकें। ऐसे मे यह जरूरी हो जाता है की बच्चे को मन लगाने के लिए उन्हे चित्र वाली किताबें खरीद कर दे सकतें हैं जिन्हे वे देख कर समझ सकें।

ऐसे पढ़ाएं 3 साल के बच्चे को
  • उन्हे गांव या शहर की नाम की पहचान कराएं।
  • 3 साल के बच्चों को जानवरों के नाम बताएं।
  • इन्हे अपने परिवार की नाम को याद करा सकते है।
  • 3 साल के बच्चों को कविताएं याद या बोलना सीखा सकतें है।

4 साल के बच्चों को क्या और कैसे पढ़ाएं?

जब बच्चे 4 साल की हो जाते हैं तो कई स्कूल में नामांकन लेना शुरु कर देते हैं क्योंकि 4 साल के बच्चों को बोलना और चलना कुछ हद तक सीख चूकें होते हैं। ऐसे में उन्हे बहुत कुछ या विषय हैं जो इन्हे पढ़ाया जा सकता है।

ऐसे पढ़ाएं 4 साल की बच्चे को
  • इस उम्र के बच्चों को जोड़ या घटाव सिखाएं।
  • 4 साल के बच्चों को उदाहरण के साथ पढ़ाया जा सकता है जैसे की 2 रोटियाँ दी उसमे से 1 खा जाने पर कितने रोटी बचेंगे इत्यादी।
  • उन्हे अपने आसपास के गांव या नगर के नाम बतायें। जिससे की उनकी नजदीकी जानकारी मजबुत हो सकें।

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आशा है की हमारे द्वारा बताई गई बच्चों को पढ़ाने की टिप्स पसंद आया होगा आज हमने सिखा बच्चों को कैसे पढ़ाएं ? और  छोटे बच्चों को पढ़ाने का 20 तरीका. Chhote Baccho ko padhane ke tarike hindi इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें।

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FAQ

Q.1 - कमजोर बच्चों को कैसे पढ़ाएं ?
  • पढ़ने में कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दें और उन्हें अच्छी तरह से समझाने की कोशिश करें |
Q.2  - बच्चों को हिंदी पढ़ना कैसे सिखाएं ?
  • छोटे बच्चों को पहले आप आगे-आगे पढ़ें और फिर उन्हें वैसा ही बोलने को कहें ऐसा करने से जल्द ही बच्चे हिंदी पढ़ना सीख जायेंगे |
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